कॉर्पोरेट पर्सनल ट्रेनिंग

   कॉर्पोरेट फील्ड का एक ही लक्ष्य है प्रॉफिट । परंतु इस प्रॉफिट को प्राप्त करानेवाले मुख्य तीन स्तंभ है, एक (साधक) अर्थात् ऑनर से लेकर अंतिम एंप्लोई तक वह सभी लोग जो इस काम से जुड़े हुए हैं, दूसरा (साधन) अर्थात् जिस काम को कर रहे हैं उसको करने के लिए आवश्यक सभी साधन-सुविधा-व्यवस्था आदि और तीसरा (कर्म) अर्थात् जिस काम को कर रहे हैं उसको करने की विधि-पद्धति ।

   अब इस पूरे स्ट्रक्चर को देखते हुए हमें क्या लगता है,कॉर्पोरेट फील्ड की सफलता कोई एक व्यक्ति पर निर्भर है? जैसे किसी रेसलर की सफलता या यह एक टीम वर्क है जो सभी पर निर्भर करता है? जैसे क्रिकेट टीम की विजई। तो इसका उत्तर यही आएगा कि यह एक पूरी टीम की सफलता है। इसलिए जब मशीन के पुर्जो की तरह सभी मिल कर के अपना-अपना काम अपनी पूरी समझ और सामर्थ्य के साथ यथावत करते हैं, तभी हमें उसका परिणाम सफलता-प्रॉफिट मिल सकता है या मिलता है।

   परंतु हम सभी जानते हैं कि हम सभी मशीन के उन पूर्वजों की तरह अपना काम हर समय इस प्रकार नहीं कर पाते और जब भी हम में से कोई भी एक कमजोर पड़ता है या शिथिल बनता है तब पूरी व्यवस्था लड़खड़ा जाती है । जिसका परिणाम सभी के ऊपर प्रभाव डालता है और धीरे-धीरे पूरा ही वातावरण बिगड़ जाता है। जिस से हम जिस प्रॉफिट को प्राप्त करने चले थे उस से वंचित रह जाते हैं या उस में कमी आ जाती है।

   यदि हम चाहते हैं कि हम सब एक इकाई की तरह मिल करके अपने पूरे सामर्थ्य से उत्साह के साथ कार्य करें जिस से हम सभी को वह प्रॉफिट बराबर प्राप्त हो, तो उसे प्राप्त करने के लिए हमें अपने आप को शिक्षित करना होता है। जै

इसीलिए हर क्षेत्र के अंदर शिक्षित करने वाला कोचिंग जरूर लेना होता है।

  • अपने काम की समझ को विकसित करने से विशेष नया-नया जान पाना।
  • शारीरिक सामर्थ्य की प्राप्ति से रोग, दुर्बलता रहित होकर आरोग्य वान्, बलवान् और ऊर्जावान् बन्ना।
  • मानसिक उत्साह प्रसंता को बढ़ाकर अपनी कार्यक्षमता को बढ़ाना।
  • व्यवहार कुशलता के जादू से सभी से सहायता को प्राप्त करना।
  • जिम्मेदार बनकर विशेष नई-नई जिम्मेदारियों को प्राप्त करना।