क्रियात्मक यज्ञ प्रशिक्षण शिबिर
जैसे की हम सभी जानते हैं कि हमें जीवित रहने के लिए खुराक की जरूर होती है । उस खुराक से हम ऊर्जा को प्राप्त करते हैं और उस उर्जा से हमारे जीवन के सभी कार्य हम यथावत कर सकते हैं । इस ऊर्जा के मुख्य तीन स्त्रोत है एक भोजन, दूसरा जल और तीसरा वायु । इन तीनों में से भी सबसे ज्यादा हमें जिस की जरूरत पड़ती है वह है वायु । जिस प्रकार भोजन और जल ऑर्गेनिक और पुष्टि कारक होने पर हमें आरोग्य, बल, प्रसन्नता प्रदान करते हैं ठीक ऐसे ही वायु का भी हमारे लिए पुष्टि कारक और शुद्ध होना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि यह भी हमारी एक खुराक है ।जैसा कि हम सभी जानते हैं आज की परिस्थिति में और विशेषकर जो मेट्रो सिटी है ऐसे स्थानों पर वायु अत्यंत दूषित, जहरीली और डस्ट पार्टिकल वाली होती है, जो हमारे लिए अत्यंत घातक है। इस वायु को कुदरत के अतिरिक्त शुद्ध करने का वर्तमान में और कोई उपाय कहीं पर भी, किसी के भी पास नहीं है। जबकि वायु का शुद्ध और पुष्टि कारक होना हमारे लिए अत्यंत जरूरी है।
दूसरी बात जिस प्रकार शरीर में यदि कोई रोग हो तो हम उसे मुंह से दवाई आदि खाकर या कोई लिक्विड फॉर्म में दवाई लेकर उसे ठीक करते हैं । अर्थात हमारी खुराक से रोग का उपाय होता है । ठीक ऐसे ही यह वायु भी हमारी एक खुराक होने से उसके माध्यम से भी हम अपने शरीर के रोगों को ठीक कर सकते हैं।
पर प्रश्न यही आएगा कि कैसे? तो उसका उत्तर यही है कि प्राचीन काल में वेदोक्त रीति से हमारे यहां यज्ञ करने की परंपरा थी। जिसे हम हवन भी कह सकते हैं। इस यज्ञ को हम केवल कर्मकांड मान लेते हैं और किसी प्रसंग विशेष पर ही करना ठीक समझते हैं । किंतु यह यज्ञ प्रतिदिन करना होता है जिसै हमारे पूर्वज करते थे। इस यज्ञ के अंदर गाय का घी, आम -पीपल- बड़ आदि पेड़ की समिधा और अनेक प्रकार की औषधियों को मिलाकर बनाई हुई सामग्री या जैसा-जैसा रोग हो उस रोग की औषधि को सामग्री बनाकर हवन में आहुति दी जाती है। जिस से बनने वाली औषधि युक्त भाप प्राणों के माध्यम से हमारे शरीर में प्रवेश करके हमारे शरीर के रोगों को ठीक करके शरीर को पुष्ट, आरोग्य वान, बलवान् और हमें दीर्घायु करत है। इसी कारण प्राचीन भारत में लोग न तो कभी रोगी होते थे और 250 से लेकर 400 वर्ष पर्यंत की आयु का सुख लेते थे। यदि आज भी हम उस यज्ञ को यदि करें तो केवल 15 से 20 मिनट के अंदर हम उस से वह लाभ ले सकते हैं जो हमें अन्य किसी भी प्रकार से प्राप्त नहीं हो सकता।
इस यज्ञ थैरापी के माध्यम से हम रोगों के हिसाब से औषधियां डालकर लाभ ले सकते हैं । इस से हमें तो लाभ होगा ही होगा, किंतु वातावरण शुद्ध होने से अन्य कई लोगों को भी इसका लाभ पहुंचा सकते हैं।
इसलिए यदि इस यज्ञ थैराफी के माध्यम से हम शीघ्रता से यदि रोगों को ठीक करना चाहते हैं, मन को स्वस्थ करना चाहते हैं और परिवार में भी सुख शांति चाहते हैं तो यह सारे लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं ।
इस यज्ञ थेरेपी को कम से कम समय में, कम खर्च में, उत्तम रीति से और कैसे किया जाए यह सीख सकते हैं।
- यज्ञ थेरेपी से कम खर्च में, कम समय में और जड़ मूल से रोगों का निवारण।
- कोरोना काल में विशेष उपयोगी।
- शरीर का आरोग्य, बल और दीर्घायु आदि की प्राप्ति कर सकते हैं।
- मन में उत्साह, प्रसंता और शांति आदि की प्राप्ति कर सकते हैं।
- परिवार में भी आपसमें प्रेम, आत्मीयता और विश्वास आदि को उत्पन्न कर सकते हैं।
- यज्ञ के माध्यम से वातावरण को शुद्ध करके हम अन्य लोगों को भी लाभान्वित करके परोपकार और पुण्य का कार्य कर सकते हैं।
- यज्ञ से संबंधित कोई मिथ्या मान्यतायें हो तो उस को भी दूर कर सकते हैं।
- यज्ञ को करना सीखना बहुत ही सरल और सहज है।