ध्यान शिविर

   हम सभी अपने जीवन में पर्याप्त धन चाहते हैं। जिससे हम अच्छे-अच्छे खाने-पीने का, ब्रांडेड कंपनियों के कपड़ों को पहनने का, सुंदर-सुंदर स्थानों पर घूमने फिरने का, लग्जरी कारमें बैठने का और महंगा मोबाइल, एसी जैसी सुविधाओं के सुख को प्राप्त कर सके । जिस से हम बहुत अधिक सुख, शांति और आनंद का अनुभव कर सके।

   परंतु यह सब कुछ चाहे मिल जाए या ना मिले, तो भी कुछ ऐसी बातें हमारे जीवन में जरूर होती है जिसका समाधान केवल इन को प्राप्त कर लेने या ना कर लेने से कभी नहीं होता। जैसे चिंता, तनाव, शोक, भय, दु:ख, बेचैनी, निराशा, नकारात्मकता, दुविधा, शंका कुशंका, संकुचितता आदि । यह समस्या आज की परिस्थितियों में बढ़ती ही जा रही है और इसका कोई सही सटीक समाधान भी उपलब्ध नहीं है और ना ही इसकी कोई पूरी समझ है । इनसे मुक्त हुए बिना हम कभी बी अपने जीवन में उन्नति नहीं कर सकते और सब कुछ होते हुए भी कभी बी हम शांति पूर्वक जीवन नहीं जी सकते।

   क्योंकि यह एक मानसिक समस्या है,इसलिए इसका उपाय भी मनोवैज्ञानिक रूप से ही हो सकता है । वह मनोवैज्ञानिक उपाय सभी के लिए एक जैसा और एक ही है वह है ध्यान (मेडिटेशन) । ध्यान के नाम पर भी की जाने वाली कोई भी क्रिया नहीं, किंतु वही विशेष क्रिया, पद्धति, विधि जिस से इनका समाधान हो सकता है ।

   वह है "महर्षि पतंजलि जी द्वारा रचित वैदिक अष्टांग योग की पद्धति" जब तक इसका प्रचलन था तब तक पहले के समय में कभी बी कोई मानसिक रोग ग्रस्त नहीं होता था और कम साधन सुविधा होने पर या जीवन में कैसी भी प्रतिकूलताओं के होने पर भी वह प्रसन्ना रहता था । इसी के चलते लोग 400 वर्ष तक अपने जीवन का सुख भी ले सकते थे।

  • समय के अभाव में भी ध्यान करने में दिया हुआ समय हमारी कार्य क्षमता को बढ़ाता है। जिस से किसी भी कार्य को हम कम समय में करके और अधिक समय बचा सकते हैं।
  • ध्यान के माध्यम से हम अपने अंदर उत्साह को उत्पन्न करते है जिस से कठिन से कठिन कार्य भी सरल हो जाता है ।
  • ध्यान से हम एकाग्रता को बढ़ाकर मन के विचलन को रोक कर अपनी याददाश्त बढ़िया बना सकते हैं ।
  • ध्यान के माध्यम से मन में चल रही दुविधा, शंका-कुशंका को दूर करके, निर्णय करने की क्षमता को शीघ्रता से बढ़ा सकते हैं।
  • ध्यान के माध्यम से मन की सभी नकारात्मकता, बुराई, निराशा और मानसिक रोगों को भी शीघ्रता से दूर कर सकते हैं।
  • ध्यान से मनोबल बढ़ने से व्यवहार में चाहे कितनी भी प्रतिकूल परिस्थिति हो तो भी हम उस में शांत और गंभीर रहकर विचार कर सकते हैं।
  • ध्यान के माध्यम से हम अपने शारीरिक रोगों पर भी नियंत्रण पा सकते हैं जैसे डायबीटीज, बीपी, एसिडिटी आदि
  • ध्यान के माध्यम से हम अपने व्यवहार पर, शरीर पर, इंद्रियों पर, मन पर, बुद्धि पर और हमारे सभी विचारों पर नियंत्रण पा सकते हैं।
  • ध्यान के माध्यम से हम किसी भी विषय की गहराई में जाकर उस विषयक सत्य और असत्य का ठीक-ठीक निर्णय कर सकते हैं।