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अर्थ (धन) के आधार पर पांच अवस्थाएं

कोई भी मनुष्य चाहे किसी भी देश या जाति का हो, उसकी अर्थ (धन) के आधार पर यहां बताई जा रही 5 अवस्थाओं में से कोई ना कोई एक अवस्था तो जरूर होगी।

1) संपूर्ण निर्धन अवस्था : वह अवस्था जहां व्यक्ति अर्थ के अभाव में नरक का जीवन जीने के लिए बाध्य है, जहां दो समय का भोजन भी मिल पाना अत्यंत दुर्लभ है और सभी प्रकार की यातनाओं से ग्रस्त है।

- जो सीधे गरीबी की रेखा के नीचे आते हैं।

2) संघर्ष युक्त अवस्था : वह अवस्था जहां व्यक्ति ऐडी से लेकर चोटी तक का जोर लगाले, चाहे यहां वहां सब जगह हाथ पैर मार ले, तब जाकर कुछ अपना और अपने परिवार का भरण पोषण कर पाता है।

- जिसे हम रोज का रोज कमाकर आजीविका करने वाला श्रमिक वर्ग कह सकते हैं।

3) सामान्य अवस्था : जहां व्यक्ति सामान्य रूप से थोड़ी सहजता से सामान्य स्तर का जीवन जी लेता है।

- जिसमें आवश्यक साधन सुविधाएं बहुत कुछ जुटा ली जाती है।

4) मध्यम अवस्था : जहां व्यक्ति आज के समय में भौतिक साधन संपन्न, आवश्यक सुविधाओं से युक्त होता है। जैसे सुरक्षा, चिकित्सा, सहयोगी आदि और संसार में प्रतिष्ठा को भी प्राप्त हो सकता है।

- जिसे हम सेलिब्रिटी या बुद्धिजीवी या लीडर आदि कह सकते हैं।

5) ऐश्वर्य संपन्न अभ्युदय वाली पूर्ण अवस्था : यह संसार की आदर्श अवस्था है। यही अवस्था इस संसार की सबसे बड़ी, उत्तम, चरम अवस्था है। इस से बढ़कर इस संसार की और कोई अवस्था नहीं है, जिसमें दो प्रकार के जीवन होते हैं। एक सुखी जीवन (भौतिक साधन संपन्न) और दूसरा हितकारी जीवन (उच्च आदर्श मूल्य वाला श्रेष्ठ जीवन)। इन दोनों जीवन के बारे में हम अलग से एक ब्लॉग में बताएंगे।

- इन्हें हम अभ्युदय से युक्त सफल जीवन वाला कह सकते हैं।